डच (The DUTCH)
डच हालैंड या नीदरलैंड के निवासी थे। कार्नेलियस डेहस्तमान के नेतृत्व में पहला डच अभियान 1596 ईo में पूर्वी जगत् (सुमात्रा एवं बैंटम) में पहुँचा। तदोपरान्त डचों ने भारत एवं पूवी जगत की कई सामुद्रिक यात्राएं सम्पन्न की। अन्ततः 1602 में डच संसद द्वारा पारित एक प्रस्ताव के तहत् वेरेनिग्दे ओस्त इंडिसे(Vereenigde Oost Indische Compagnic) अर्थात् । यूनाइटेड ईस्ट इण्डिया कम्पनी ऑफ नीदरलैण्ड' की स्थापना हुई। इस प्रस्ताव द्वारा डच संसद ने कम्पनी को 21 वर्षों के लिए भारत और पूर्वी देशों के साथ व्यापार करने ,युद्ध छेड़ने, संधि करने, भूमि प्राप्त करने तथा दुर्ग बनाने के सम्बन्ध में अधिकार पत्र दिया। इस कम्पनी की संयुक्त पूंजी 65 लाख गिल्डर थी। कम्पनी का संचालन डच सरकार के आदेशानुसार 17 सदस्यीय एक बोर्ड द्वारा किया जाता था। इसके सदस्य महत्वाकांक्षी और साहसी व्यक्ति थे।डचों के आगमनके समय पुर्तगालियों का पूर्वी व्यापार पर एकाधिकार था। डच कालीमिर्च एवं अन्य मसालों के व्यापार हेतु मूलतः इण्डोनेशिया(मसाला द्वीप पुंज) पर निर्भर थे। अतःपुर्तगालियों से डचों कासंघर्ष अपरिहार्य था।1605 में डचों नेपुर्तगालियों को पराजितकर अम्बायना ले लियातथा धीरे-धीरे मसाला द्वीप पुंज में उन्हें हराकर1619 ई0 में जकार्ताके खंडहरों पर‘बैटेविया' नामक नगरबसाया। 1641 ई0 में मलक्का पर कब्जा कर लिया तथा 1658 ई० में सीलोन (श्रीलंका) की अंतिम पुर्तगाली बस्ती पर अधिकार जमा लिया।
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